खुदा के घर देर है अंधेर नही । कहानी एक सफर की - मस्त मस्त हिंदी कहानियाँ

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मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

खुदा के घर देर है अंधेर नही । कहानी एक सफर की

दोस्तो ये दुनिया बहुत बड़ी है । और इस दुनिया मे सब तरहा के लोग है ।


जैसे :- अमीर गरीब , काला गोरा , लाम्बा छोटा , मोटा पतला हर तरह के लोग रहते है और दिल सब के पास रहता है लेकिन ना जाने क्यों ये कमबख्त दिल है ना किसी किसी का सिर्फ धडकने का काम करता है और किसी किसी का दिल है जो दो काम करता है ।
एक तो खुद के लिए धड़कता और एक दुसरो के लिए ।
कैसे....????
चलो मैं बताता हूं  कैसे दुसरो के लिए धड़कता है । गर्मियों के दिन थे । स्कूल की छुट्टियां सिरु हो गई तो मैने और मेरे कुछ दोस्तो ने कहि घूमने का पिलान बनाया ।


 मेने अखबार में देखा के एक बस घुमाने के लिए जा रही है जो कि 3 हजार रुपये में एक सप्तहा घुमाएगी । तो मैने मेरे तीन दोस्तो को ये बात बताई और हम तैयार हो गए । हम चारो ने अपने बैग तैयार कर के जयपुर हो लिए राबाना हो लिए  और उस बस बाले से जा मिले जो कि सात दिन के टूर पर जा रही था । हम  चारों ने तीन तीन हजार रुपये जमा करा दिए । हमारे आने से बस की सारी सीटे फुल हो गई और बस राबाना हो गई । मेरे तीन दोस्त एक सीट पर थे और में एक सीट पर बैठा था जिस पर एक अंकल और एक आंटी और एक उनका छोटा सा बेबी था । हम चारो बड़ी मस्ती करते हुए जा रहे थे । के उस पास में बैठी एन्टी का बेबी बड़ी जोर जोर से रो रहा था । किसी ने रोने की बजह पूछी तो आंटी बोली के मुन्ने को भूक लगी है और हमारे पास ढूध खत्म हो गया है अगर ड्राइबर सहाब कहि रोक दे तो हम दूध ले ले...!
तो ड्राइबर ने गाड़ी एक रिसोर्ट पर रोकी जब अंकल उस दूध लेने गया और पूछा के भाईशाब आपके पास दूध है ।
दुकान बाले ने पूछा के किस लिए चाहिए..?
हमारा बच्चा भूका है और उसे दूध पिलाना है तो उस दुकान बाले ने मौका देखकर चौका मार दिया । यानी उसने आधा किलो दूध उसे सौ रुपये का दिया । क्यो की उसे पता था के ये दूध जरूर लेगा और आस पास कोई दुकान नही है । फिर अंकल उस दूध को लाया और उस बच्चे को दूध पिलाया । हम अपनी मस्ती में मस्त चारो दोस्त मौज़ मस्ती करते जा रहे थे के साम हो गई । ड्राइबर ने गाड़ी एक तरफ एक ढाबे पर रोक दी ताकि पैसिंजर कुछ कहा पी ले ...!
सब बस से नीचे आ गए और और सब ने कुछ ना कुछ  कहा पी लिया । अंकल ने कहा के कहि से इस बच्चे के लिए  भी दूध ले लेते है क्या पता आगे मिले जाने नही तो ढाबे के पास में एक छोटी सी झोपड़ी में एक बाबा चाय बनाता था । बो दोनों उस के पास  गए और एन्टी बोली के बाबा मेरा बच्चा भूका है आप के पास दूध है क्या ...?
तो बाबा ने हसकर कहा के हाँ बेटा है और उस बाबा ने उस बच्चे के लिए एक प्याली में दूध निकाला उसे गर्म किया फिर उस मे चीनी मिलाई और फिर उसे ठंडा कर के आंटी को दिया ।
आंटी बोली के बाबा कितने रुपये हुए ..?
तो बाबा बोला के बेटा इस बच्चे को दूध दिया है मेने आपको नही दिया ।
इस बच्चे पर से क्या पैसे लेने । बाबा ने एक बोतल में और दूध भर के उस आंटी को दिया के ले बेटा ये आगे बच्चे को भूक लगेगी तो तुम्हे रास्ते मे काम आएगा ।
मेने उस रिसोर्ट बाले को भी देखा और उस गरीब को भी देखा ।
मेरे दिल ने कुछ कहा भी पर मैं उसे ना सुनते हुए फिर मस्ती में लग गया ।
बस आगे के लिए राबाना हो गई कुछ ही घण्टो में रात हो गई और जब सुबह हुई तो एक अजीब सा सोर हो रहा था जब मैने उस पर गौर किया तो पता लगा के हमारी सरकार ने 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए । पूरी बस में इस बात पर जोर जोर से बाते चल रही थी हमे तो कोई टेंसन नही तो क्यो की हमारे पास तो कुछ सिर्फ सौ सौ के नोट थे और बाकी ATM में थे । लेकिन हमारे सामने बाले एक अंकल को बहुत घबराहट हो रही थी क्यो की उसके पास सिर्फ 1000 और 500 के नोट थे और बो अपना ATM भी नही लाया था । उसके साथ उसकी बीबी और उसके दो बच्चे भी थे । जब बो किसी से कुछ सामान लेता तो हजार और पाँच सौ के नोट को देखकर उसे कोई कुछ ना देता । ऐसे ही ऐसे उस अंकल को दुपहर हो गई । बस एक पार्क के पास रुकी ताकि यात्री कुछ आराम कर ले और कुछ खा पी ले । बो अंकल एक बड़ी और VIP दुकान पर ये सोच कर गया के सायद इस पर नॉट चालू हो या फिर उसे थोड़ा रहम आ जाये जिससे कुछ हमे और बच्चो को खाने पीने का सामान मिल जाये । बच्चे भी उस के साथ थे । उसने बहुत सा सामान लिया और बिस्कुट और कुर कुरे बच्चो को खाने लिए दे दिए । बच्चे भूखे थे इस लिए उन्होंने उन्हें फाड़ कर खाने में देरी ना करी ।
लेकिन जब अंकल ने उस दुकान बाले को 1 हजार का नोट दिया तो उसने उसे लेने से मना कर दिया ।
अंकल बोला के मेरे पास और कुछ नही है । तो उस ने कहा के में कुछ नही जानता मुझे पैसे चाहिए ! कहि से भी लाकर दो और कैसे भी लाकर दो  ........
अंकल टेंसन में आ  गया के अब क्या करे कुछ  सामान तो बापस कर दिया लेकिन जो बच्चो ने खा लिया उस का क्या ...????
दुकान के सामने एक जुता पोलिस करने बाला बैठा था । उस अंकल ने दिमाक लगाया के ये तो गरीब है इस के पास कौनसा TV  होगा जिससे इस को नोट बंदी के बारे में पता होगा  क्यो ना मैं ये हजार रुपये इसे चेका दु ....!!!!!
अंकल उस के पास गया और अपने जूता पालिस कराया । सब काम होने के बाद उस अंकल ने बो हजार का नोट उस जूता पोलिस करने बाले को दिया तो उस ने हाथ जोड़कर बोला के भाईशाब ये हजार का नोट अब दुकानों पर नही चल रहा है । कृपया खुल्ला दे दे । अंकल ने कहा के मेरे पास खुल्ला नही है और ये नोट बंद से हम तो रास्ते मे ही लटक गई है ना कुछ खाने को मिल रहा है ना कुछ पीने को । कोई इन्हें लेने को तैयार नही मेरे बच्चे भूखे मर रहे है ......
अंकल की आखों में आँसू आ गए ।
तो उस जुता पोलिस करने बाले ने अपनी जेब से पूरी दिन भर की कमाई निकाली जो करीब 750 थी और उस अंकल के हाथ मे थमा दी और बोला के भाईशाब जब तक आपका काम चले इनसे चला लो । उस अंकल ने उस जुता पोलिस करने बाले की तरफ देखा तो बो मुस्कुरा रहा था अंकल ने बो पैसे लिए और उस से उस का अकाउंट नंबर मांगा लेकिन बो तो गरीब था बो क्या जाने बैंको में जमा कराना ! बो तो जितना कुमाता उसमे से कुछ का खाने पीने का सामान ले आता और कुछ जोड़ लेता था । तो उस अंकल ने कहा के में कुछ दिन बाद आपके पैसे लौटाने यहाँ आ जाऊंगा । अंकल का फिर आगे घूमने का मूड बदल गया और बो उन पैसे से घर के लिए राबाना हो गया । कोई बात नही ......
फिर बस आगे के लिए राबाना हुई । कुछ घण्टे चलने के बाद हम एक शहर में पहुच गए बस बहाँ रुक गई । हम ने सोचा के कुछ खाने के लिए फल ले लेते है । तो हम ने देखा के एक फल की बड़ी ही खूबसूरत और VIP दुकान है और एक तरफ एक  बूड़ी औरत एक जगह थोड़े से केला बेच रही है 


अचानक उस बड़ी दुकान के सामने एक गाय कुछ खाने के लिए आती है तो उस दुकान बाले ने उस गाय को डंडा बता कर भगा दिया । और जब बो गाय उस बुढ़िया की धकेल के पास कुछ खाने के लिए आई तो उस बुढ़िया ने 2 - 3 केला लिया और उस गाय को खिला  दिया । गाय बेचारी खा कर आगे चल दी । मैं उस बुढ़िया के पास गया और बोला के अम्मा केला क्या भाब दिए है तो उसने बताए के 30 रुपये किलो ।
मेने बोला के आप महंगे दे रही हो सही बताओ बर्ना हम नही लेंगे । उस अम्मा ने कहा के बेटा कुछ ज्यादा नही है 2 चार रुपये कम जाए इस लिए बैठी हु । हम उस बुढ़िया को छोड़ कर आगे उस VIP दुकान की ओर चल दिये और बो बुढ़िया हम से बोलती रही के बेटा कितना लेना है । रुको तो सही.....
और हम अपनी ठसक दिखाते हुए आगे बढ़ गए जब उस दुकान पर हमने पूछा के केले कितने के 1 किलो दिए है । तो उस दुकान दर ने बोला के 50 रुपये किलो ....
हम ने बोला के कुछ कम कर लो ..???
तो उस दुकानदार ने गुस्से से हमारी तरफ देखा और बोला के कहाँ से आये हो..????
पहली बार केले खरीद रहे हो ...?
या पहली बार केले खा रहे हो ?
हम चारो को अहसास हो गया के ऊँची दुकान और महंगे दाम ।
हम अपना सा मुह लेकर बहाँ से राबाना हो लिए और उस बुढ़िया के पास आकर उस से 2 किलो केले ले लिए । और उस बुढ़िया को हमने 50 की जगह 60 रुपये दिए ।
मुझे इन तीनो बारदातो से ये अहसास हो गया के गरीब के दिल के अंदर कितनी ह्मदर्दी होती है ।
कहाँ बो रिसोर्ट बाला जो दिन भर में 5000 रुपये कुमाता है फिर भी उसने उस बच्चे पर रहम नही किया और कहाँ बो गरीब आदमी जो दिन भर में 100 या 200 रुपये कुमाता है लेकिन उस के दिल मे उस बच्चे के प्रति दया और प्यार प्रेम है ।
तो दोस्तो इस कहानी से चाहे आप की कुछ समझ मे आये या नही आये लेकिन मेरी समझ मे तो ये आया है के हम अपनी ठसक दिखाते हुए किसी गरीब से सामान लेने में अपनी बेज्जती समझते । या अगर लेते भी है तो उस से बहुत मोल भाब करते है और किसी ऊँची दुकान पर जाते है तो तो बो जितना कहता है उतना उसे निकाल कर फटाफट दे देते है ।
दोस्तो आप से ये गुजारिस है के इस स्टोरी को आगे सैंड कर दो ताकि हम किसी गरीब से सामान लेने में कोई मोल भाब ना करे ।

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