लेकिन यह क्या? मैं क्यों इतने दिनों से इस अनुराग के आगे-पीछे घूम रही हूँ? क्यों मैं इसे घंटों तक बैठ कर पढ़ाती हूँ ? क्यों मैं इसे अपने हाथों से खाना खिलाती हूँ ? मेरे पढ़ाने से अनुराग आईपीएस की मुख्य परीक्षा पास कर गया, इसकी जितनी ख़ुशी उसे है उससे ज्यादा ख़ुशी मुझे क्यों हो रही है ? इस सब के पीछे मेरा क्या स्वार्थ है ? इस सबके बदले में मुझे इस अनुराग से क्या हासिल होने वाला है ? मैं अनुराग से क्या चाहती हूँ ? कुछ भी नहीं। क्या ये वैसा प्यार नहीं है जैसा अनुराग चाहता है ?
हाँ ! यह वही है। यह सोचते ही मेरा दिल जोर से मचल गया और मुँह सुख गया। लेकिन मैं उसके इस प्रेम दर्शन का झूठ-मूठ में मज़ाक सा बनती हुई बोली-
“मुर्ख कँही का। “
यह सुनकर वह मुस्कराया, उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था मैं फिर बोली-
“काश! मैं तेरी गर्ल फ्रेंड होती !! अनुराग ! ”
यह सुनकर भी वह कुछ नहीं बोला और चुपचाप नीचे की तरफ देख कर सड़क पर चलता रहा। मैं फिर बोली-
“मैं एक ऐसे लड़के की गर्ल फ्रैंड बनना हमेशा पसंद करती जो अपनी जिंदगी में बड़ा मुकाम पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है और बिना किसी सपोर्ट के सारी बाधाएँ पार करके अपनी मंजिल हासिल करता है।” यह सुनकर भी वह कुछ नहीं बोला और चुपचाप चलता रहा। मैं फिर बोली-
“मैं तेरी कामयाबी से बहुत खुश हूँ। लेकिन अगर तेरी कमयाबी में मैं तेरी गर्लफ्रेंड भी होती तो मैं और भी ज्यादा खुश होती ” यह कहकर मेरा दिल पूरा मचल गया, और मेरे नियंत्रण से बाहर हो गया। मुझे ऐसे लगा कि मेरा दिल मेरे सीने से उछल कर गले में आ गया ।
अनुराग- “समझ गया। आपका मतलब है! “यह दिल खुशियां मांगे मोर।”
“हाँ! यह दिल खुशियाँ मांगे मोर !! अनुराग ! जरा रुक !”
अनुराग- “क्या हुआ मैडम? रात के साढ़े ग्यारह बज रहे हैं अब जरा जल्दी चलिए। आपको छोड़ कर मुझे भी अपने घर जाना है।”
“जरा रुक और अपनी ऑंखें बंद कर। तुझे एक गिफ्ट देती हूँ।” यह सुनकर वह मुस्कराया और उसने अपनी ऑंखें बंद कर ली। तब मैंने उसके गाल पर एक किस्स कर दिया। उसने हड़बड़ा कर अपनी ऑंखें खोल दी तो मैंने उससे कहा-
“मेरे पति तो मेरे कहने से जज़ नहीं बन सके लेकिन मैं तो तेरी गर्लफ्रेंड बन सकती हूँ ना? यह तो मेरा हक़ है ना?”
यह सुनकर वह हैरान हो गया और चुपचाप मेरी शक्ल देखता रहा। फिर न जाने क्या सोच कर उसने अपना दूसरा गाल भी मेरे आगे कर दिया मैंने उसके दूसरे गाल पर भी किस्स कर दिया तो उसने अपने होंठ भी मेरे आगे कर दिए। उसके होंठों पर भी एक चुंबन करके मैं उससे हँस कर बोली-
“बता तुझे और क्या चाहिए?”
अनुराग- “मेरी ख्वाहिशें बढ़ती ही जाती हैं मैडम!”
“मेरा दिल कर रहा है की मैं तेरी अगली ख्वाहिश भी पूरी कर दूँ, लेकिन यहाँ सड़क पर नहीं। मेरे साथ मेरे घर चल।” अनुराग कुछ नहीं बोला, चुपचाप मेरे साथ मेरे घर आ गया। उसका हाथ पकड़ कर मैं उसे सीधे ऊपर गेस्ट रूम में ले गयी और उससे बोली-
“बता तेरी अगली ख्वाहिश क्या है?”
अनुराग- “बताया तो था। दो बार बता चुका हूँ।”
“नहीं ! अगर मैं तेरी गर्लफ्रेंड होती तो तू मुझसे क्या गिफ्ट मांगता ?”
अनुराग- “मेरी ख़्वाहिश बढ़ती जाती और मैं आपसे कहता कि मेरी गोद में बैठ कर मुझे अपने होंठों से मधुपान करा दो ,” यह सुन कर मैं खिलखिला कर हँसी और बेड पर उसके सामने बैठ कर कुछ शर्माते हुए बोली –
=>PART- 3
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