“मरे हुए लोग कब्र से नहीं डरा करते/”hot love and emotional story [part -2] - मस्त मस्त हिंदी कहानियाँ

Latest

सोमवार, 30 नवंबर 2020

“मरे हुए लोग कब्र से नहीं डरा करते/”hot love and emotional story [part -2]

 टूटे हुए दिल के साथ काव्या वहां से चली जाती है और विक्की की मदद से दूसरी नौकरी की तलाश करती है/ जब विक्की उसे गाडी तक छोड़ने जाता है तो काव्या को उल्टी होने लगती है/ काव्या डॉक्टर के पास चेक-अप के लिए जाती है तब उसे पता चलता है कि वो माँ बनने वाली है/ काव्य ये सुनने के तुरंत बाद सिद्धार्थ से मिलने जाती है और बोलती है कि मैं डी.एन.ए. टेस्ट के द्वारा ये साबित कर सकती हूँ 



कि ये बच्चा तुम्हारा है/ उसी रात सिद्धार्थ काव्या को फोन करके बुलाता है और माफ़ी मांगता है जैसे ही काव्य उसको गले लगाने वाली होती है उसका अपहरण हो जाता है/ फिर सिद्धार्थ उसका गर्व गिरवा देता है और उसका ऐसा ऑपरेशन करवा देता है जिससे वो कभी भी माँ ना बन सके/ जब अगले दिन काव्या को होश आता है तो वो किसी गाँव में होती है/ दिल टूटने का दर्द और बच्चे को खो देने का दर्द उससे बर्दास्त नहीं होता और वो सिद्धार्थ से बदला लेने का फैसला करती है जिसके चलते वो अपने आप को जाकर वैश्यालय में बेच देती है और एक वैश्या बनने की ट्रेनिंग लेती है/ 

Add caption


कई लोगो के साथ सोती है सिर्फ सिद्धार्थ तक पहुँचने के लिए/ इसी तरह वो एक दिन सीमेंटेक कंपनी के सी.ई.ओ. राजदेव सिंह से मिलती है और उससे छुपकर उसके फोन से जरुरी ईमेल कॉपी कर लेती है/ अगले दिन सिद्धार्थ की कंपनी को जरुरी सूचना लीक हो जाने की वजह से काफी बड़ा नुक्सान हो जाता है/ इसके बाद वो सिद्धार्थ से मिलकर उसको बर्बाद कर देने की धमकी देती है/ सिद्धार्थ काव्या के घर में कैमरे लगवा देता है जिसका पता काव्या को लग जाता है वो उसके ही हथियार को उसके विरुद्ध इस्तेमाल करती है और अपने घर पर राजदेव सिंह को बुलाती है/ इसके बाद सिद्धार्थ राजदेव सिंह को मरवा देता है और झूठे सबूतों के बल पर काव्या को फसा देता है/ इसके बाद काव्या कैबिनेट मंत्री को ब्लैकमेल करके उसकी मदद से जेल से छूट जाती है और मंत्री को प्रस्ताव देती है कि अगर वो काव्या को आई.आई.बी.आई बैंक का डायरेक्टर बनाये (जिस बैंक में सीमेंटेक कंपनी के खातों का ब्यौरा होता है) और पुलिस से उसके नाम की फाइल गायब करवा दे तो वो उसके साथ एक रात गुजारेगी, इस प्रस्ताव को मंत्री स्वीकार कर लेता है/ इसके बाद काव्या विक्की की मदद से सिद्धार्थ की कंपनी के खाते की सारी जानकारी निकल लेती है और एक जनरल बोर्ड मीटिंग में सिद्धार्थ के काले धन का पर्दाफाश करके उसे बर्बाद कर देती है/ इसके बाद काव्या वापिस घर आ जाती है/ विक्की उसे एक घडी गिफ्ट करता है/ वहां वो राजदेव सिंह की पत्नी को देखती है जो कि उसका ही इन्तजार कर रही होती है/ उसके हाथ में बन्दूक होती है और वो काव्या को मार देती है ये समझकर कि काव्या ही उसके पति की कातिल है/ काव्या को मारने के बाद वो खुद को भी मार लेती है/ फिल्म खत्म होती है एक बैकग्राउंड आवाज (काव्या की) के साथ :---- “मरे हुए लोग कब्र से नहीं डरा करते/”




कोई टिप्पणी नहीं: