romantic and hot love story / बो अनोखा सा प्रेम [ PART - 1] - मस्त मस्त हिंदी कहानियाँ

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सोमवार, 30 नवंबर 2020

romantic and hot love story / बो अनोखा सा प्रेम [ PART - 1]

 



उस रात मैं और अनुराग शादी की पार्टी में गए थे। वहाँ हमने जम कर एन्जॉय किया था। पार्टी में आये हुए मेहमानों के साथ मैं जम कर नाची थी। अनुराग की कामयाबी का जो नशा मुझपे चढ़ा था उसे उतारने का यह तरीका मुझे खूब भाया था कि मैंने जम कर डांस किया था। फिर हमने पार्टी का बढ़िया खाना डट कर खाया था। मैं बहुत थक चुकी थी और अनुराग के साथ पैदल ही अपने घर की तरफ चली जा रही थी। अनुराग के साथ रात के ग्यारह बजे सुनसान सड़क पर चलते हुए मेरा दिल आज फिर से जोर-जोर से मचल रहा था जिसे मैं मचलने दे रही थी। यह मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। तब मैंने अनुराग से पूछा था- 



अनुराग ! क्या तूने वह पेण्ट और शर्ट खरीद लिए जिसके लिए मैंने तुझे रुपए दिए थे ?”

अनुराग- “नहीं मैडम ! परीक्षा की तैयारी में बाजार जाने की फुरसत ही नहीं मिली।”
“अब तो फुरसत है ना ! अब खरीद लेना।” सुनकर अनुराग कुछ नहीं बोला और चुपचाप चलता रहा। मैं फिर बोली-
“अनुराग ! आज मैं तेरे मुँह से फिर वही सुनना चाहती हूँ कि अगर तेरी कोई गर्लफ्रेंड होती तो तू उससे अपने बर्थडे पर क्या गिफ्ट माँगता ?”
अनुराग कुछ क्षण ऐसे ही चलता रहा फिर खुद ही बोला-
        “मैं उससे कहता की मेरे गाल पर एक किस्स कर दे।”
“अगर वो ऐसा कर देती तो ?”
अनुराग- “तो मैं उससे कहता की अब मेरे दूसरे गाल पर भी किस्स कर दे।”
“अगर वो ऐसा भी कर देती तो ?”
अनुराग- “तो मैं उससे कहता की मेरे होंठों पर भी एक किस्स कर दे।”
“अगर वो ऐसा भी कर देती तो ?”
अनुराग (थोड़ा शर्मा कर)- “तो मेरी ख्वाहिशें बढ़ती ही जाती और मैं उससे कहता कि मेरी गोद में बैठ कर मुझे अपने होंठों से पिला दे।”
अनुराग की यह मासूम और प्यारी सी ख्वाहिश सुनकर मेरा दिल जोर से मचलने लगा और जज्बातों को छिपाने के लिए मैं जोर से हँसने लगी और हँसी को कण्ट्रोल करके मैने कहा-
“कब तक?”
अनुराग कुछ विचार कर बोला- “ जब तक मैं चाँहू। रात से सुबह तक या सुबह से रात तक।”
“इससे तुझे क्या मिलेगा ?”
अनुराग- “जिंदगी की सबसे ज्यादा खुशी।”
“और तेरी गर्ल फ्रेंड को क्या मिलेगा ?”
अनुराग- “मेरी ख़ुशी उसकी अपनी ख़ुशी होगी। वो अपनी ख़ुशी के लिए ही ऐसा करेगी। अगर सच में ही मुझे प्यार करने वाली होगी तो मेरी खुशी ही उसकी अपनी ख़ुशी होगी और जिसे वो मेरे साथ जीकर महसूस करेगी।”
अनुराग आज मुझे अपना प्रेम दर्शन बतला रहा था जिसे मैं हैरान होकर सुनने लगी थी। मैंने तर्क करने के लिए उससे फिर पूछा-
“तुझे ख़ुशी देने के बदले में वो कुछ तो तुझसे चाहेगी या किसी तरह की उम्मीद तो करेगी ?”
अनुराग- “नहीं वह मुझसे कुछ नहीं चाहेगी। बिना किसी स्वार्थ के वह मुझसे प्रेम करेगी।”



“अनुराग ! कोई लड़की तुझसे ऐसा प्यार क्यों करेगी ? ऐसी क्या खासियत है तुझमें ?”
अनुराग- “खासियत?? खासियत तो उस सामान की देखी जाती है मैडम ! जो बाजार में बिकता है। मैं कोई सामान थोड़े ही हूँ ? मैं तो एक इंसान हूँ जिसे जिंदगी में कभी प्यार नहीं मिला। अगर जिंदगी में प्यार मिले तो ऐसा ही मिले नहीं तो ना मिले।”
         अनुराग फिर से बोला-
     – “मैं तो प्यार इसी को समझता हूँ कि यदि  किसी को ख़ुशी देकर तुम्हे भी आनंद और ख़ुशी का अनुभव होता है तो वो अहसास ही प्यार होता है।”
        अनुराग ने प्रेम की जो परिभाषा दी मैं उसे सुन कर हैरान हो गयी किन्तु मैंने उससे फिर तर्क करना चाहा और मैं बोली-
“लेकिन बिना किसी मकसद के या बिना किसी अंजाम की परवाह किए कोई ऐसा प्यार कैसे कर सकता है ? अनुराग !”
      अनुराग – “प्यार का मकसद, प्यार ही होता है मैडम ! और प्यार का अंजाम भी प्यार ही होता है , प्यार के आलावा और कुछ नहीं होता।”
      उसकी बात सुनकर मैं अपने दिल में सोचने लगी की ऐसा प्यार तो सिर्फ किसी दर्शन शास्त्र में ही मिल सकता है व्यवहारिक रूप में नहीं।

                                 

                                  =>PART-2


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