romantic and hot love story / बो अनोखा सा प्रेम [ PART- 3 ] - मस्त मस्त हिंदी कहानियाँ

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सोमवार, 30 नवंबर 2020

romantic and hot love story / बो अनोखा सा प्रेम [ PART- 3 ]

 



“और अगर मैं तेरी गर्ल फ्रेंड होती तो यही उम्मीद करती की तू खुद मुझे अपनी गोदी में बैठाये अनुराग,”  अनुराग मुझे देख कर हैरान हुआ जा रहा था जबकि मैं इंतज़ार कर रही थी की वो खिसक कर मुझ तक आये और कुछ प्रतिक्रिया दे। मेरे दिल में थोड़ी शर्मो-हया मौजूद थी और थोड़ा डर भी, की मैं ये क्या करने जा रही थी। अनुराग ने हिम्मत दिखाई और खिसक कर मेरे पास आया। उसने मुझे गौर से देखा, उसने हिम्मत करके अपनी उँगलियों से मेरे होंठों को छुआ और आगे की ओर झुककर वो अपना चेहरा मेरी तरफ लाया और उसने  मेरे होंठो पर एक चुंबन किया। मुझ में जैसे एक झुरझुरी सी दौड़ गयी थी।उसे यह करने में बहुत संकोच हो रहा था शायद इसी लिए मेरे होंठो को बार-बार आहिस्ता से चूम रहा था। किन्तु यह करने के लिए उसे आगे मेरी तरफ झुकना पड़ा था कि उस पोजीशन में हमदोनों ही सहज अवस्था में नहीं थे। मैं उसकी गुरु थी जिसकी वो बहुत इज्जत करता था इसीलिए वह उसी तरह डरते-डरते मेरे होंठों को आहिस्ता से चूमता जा रहा था,किन्तु ऐसे उसकी मेरे होंठो से पीने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकती थी। तभी अचानक मेंरे दिल में एक उन्माद उठा कि जब उसने मेरे होंठो को आहिस्ता से चूमा तो मैंने उसके चेहरे को अपनी हथेलियों से वँही जकड़ लिया और इस तरह उसके होंठ मेरे होंठो पर ही ठहर गए और तभी  मैं भी अपनी जगह से खिसक कर उसकी गोद में आ गयी थी जबकि उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया था और मैंने खुद ही अपने होठों से अनुराग के होठों को कुरेदना शुरू कर दिया था । 



            मैं ‘श्रद्धा’ नाम की महिला, मेरी उम्र पैंतीस और छत्तीस के बीच, करीब बारह वर्षों से शादी-शुदा। मेरी जिंदगी में यह विचित्र किन्तु पहला मौका था जब मेरे पति के अलावा किसी अन्य पुरुष ने मेरे होंठों को चूमा था। मेरे दिल में कुछ अजीब से मिश्रित भाव आ रहे थे जिनमें कुछ डर था और कुछ रोमांच था। लेकिन जज्बात सब पे भारी थे ।
           यह घटना उस दिन शुरू हुई थी जब अनुराग नाम के इस गरीब और अनाथ लड़के का जन्म दिन था और यह मुझे पार्टी देने के लिए एक साधारण सी मिठाई की दुकान पर ले गया था। मैं इससे भली-भाँती परिचित थी, यह मेरे कोचिंग सेंटर ‘श्रद्धा कैरियर क्लासेज़’ में करीब तीन सालों से बच्चों को पढ़ाता था और खुद भी आईपीएस की तैयारी करता था। इस ”श्रद्धा कैरियर क्लासेज’ में हम बच्चों को सरकारी नौकरी की तैयारी करवाते थे। उसी दिन इसने मुझे बताया था की वह मात्र अपने स्वाध्याय के बूते पर आईपीएस की प्रारम्भिक परीक्षा यानि स्क्रीनिंग टेस्ट पास कर गया था। उसके मुँह से यह सुनकर मैं हैरान हो गयी थी। जब मैंने इससे पूछा था कि तुझे जन्मदिन का क्या तोहफा दूँ ? तो वह तपाक से बोला था कि        


 

                “आप मेरी गर्ल फ्रेंड थोड़े ही हैं जो मैं आपसे बर्थ डे गिफ्ट मांगूँगा।”
                  अनुराग के इस जवाब ने न जाने क्यूँ मुझमें कुछ खास तरह के भाव उत्प्नन कर दिए थे। शायद मैं विचलित हो गयी थी। किन्तु मैंने उससे पूछ लिया था कि “अगर कोई तेरी गर्ल फ्रेंड होती तो तू उससे क्या गिफ्ट माँगता ?”
            बहुत डरते-डरते उसने जवाब दिया था की “मैं उससे कहता कि मुझे किस्स कर दे। “
“और अगर वो ऐसा कर देती तो ?”
” तो मेरी ख्वाहिशें बढ़ती ही जाती। “

           उसका यह जवाब सुनने के बाद मैं इतनी बेचैन हो गयी थी कि जब अपने घर लौट रही थी तो कदम मुश्किल से उठ रहे थे। एकदम थके-थके से कदम जैसे बहुत दूर से चल कर आ रही हूँ। अनुराग अपनी गर्लफ्रेंड से किस तरह का गिफ्ट माँगता ? उसने मुझ से कुछ नहीं माँगा था, और न ही कभी मैंने उसकी आँखों में अपने प्रति ऐसे भाव देखे थे। उसकी आँखों में मुझे मेरे प्रति सिर्फ सम्मान नज़र आता था। लेकिन न जाने क्यों,उसके जवाब ने मुझे कुछ उकसावा दिया था।  



             उस दिन तो यह बात वँही खत्म हो गयी थी किन्तु उसके बाद मैंने उसे आईपीएस की मुख्य परीक्षा के लिए पढ़ाना शुरू किया था। वह बहुत प्रतिभाशाली और मेधावी विद्यार्थी था । अनुराग का इरादा बहुत पक्का था और लगन भी बहुत गहरी थी। सोलह घण्टे प्रतिदिन तक पढ़ा था और मुख्य परीक्षा भी पास कर गया था। तभी मैं उसके व्यक्तित्व में रूचि लेने लगी थी। यहाँ तक की तीन महीनों में उसकी तैयारी करवाने के दौरान मैं उससे इतना प्रभावित हो गयी थी की उसे खाना भी अपने हाथों से खिलाती थी , जिससे की वो अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करे। पहले मुझे उससे सिर्फ सहानुभूति रहती थी। किन्तु आज उसके प्रेम दर्शन से मैंने यह जान लिया था कि यह तो वही वास्तविक प्रेम था जिसमें पड़ कर कोई अपने प्रेमी पर अपना सर्वस्व लुटाने के लिए तैयार रहता है।आज मैं पूरी तरह से उसके प्रेम के रंग में ऐसे रंग गयी थी की उसे ख़ुशी देने के लिए अपनी सारी हदें पार करने के लिए तैयार थी।
                    इसी का परिणाम था कि उसने मेरा निचला होंठ अपनी अँगुलियों से पकड़ा और अपने होंठों में लेने की कोशिश करने लगा। उसने मेरा ऊपर का होंठ भी अपने होंठो में ले लिया था। मैं जानती थी की वो यह पहली बार कर रहा था इसलिए उसे सहयोग करने के लिए मैंने खुद को उसकी गोदी में अच्छे से एडजस्ट किया, अनुराग ने भी मुझे अपनी गोदी में संतुलन से बैठाया कि उसकी बाईं जांघ पर मैंने अपने नितम्ब रखे और अपने दोनों घुटनों को मोड़ कर उसकी गोद में बैठ गयी और अपने होंठों को एकदम ढीला छोड़ दिया था जिससे वो उन्हें ज्यादा से ज्यादा अपने होंठो में खींच सके। वो उन्हें पीने की कोशिश करने लगा और जल्दी ही उसने अपनी जीभ का इस्तेमाल करना भी सीख लिया। यह हुनर तो जैसे खुदा मर्दों को सिखा कर ही दुनिया में भेजता है। अब मेरे होंठ पूरी तरह से उसके होंठों में फँस चुके थे जबकि वो अपनी जीभ को मेरे होंठो में घुमा-घुमा कर उनका रस खींच कर पी रहा था। बिना जीभ का प्रयोग किये तो कोई भी इंसान गिलास से पानी तक नहीं पी सकता तो मर्द किसी औरत के होंठों को कैसे पी सकता है, उसकी गटकने की आवाज़ को मैं सुन सकती थी। उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में कोमलता के साथ पकड़ा हुआ था जबकि मैंने अपनी बांहे उसकी गर्दन में डाल रखी थी। उसमे संकोच का भाव पूरी तरह से विद्यमान था इसीलिए वह मेरे साथ पूरी कोमलता और धैर्य के साथ व्यवहार कर रहा था। उसकी इस क्रिया में कोई उतावलापन नहीं था। मेरे होंठ अधिकतम उसके होंठो में समाये हुए थे किन्तु मुझे कोई तकलीफ या खिंचाव महसूस नहीं हो रहा था। कुछ देर अनुराग ऐसे ही मेरे होंठो से रसपान करता रहा फिर उसने मेरे होंठो को मुक्त कर दिया। तब मैं उसे देख कर मुस्कराई और मैंने उससे पूछा-
        “और बता तेरी अगली ख्वाहिश क्या है ?”
उसने मेरा चेहरा अपनी हथेलियों में थामा हुआ था। उसने मेरे होंठो को एक बार फिर से चूमा और बोला-

                                     =>PART - 4

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