romantic and hot love story / बो अनोखा सा प्रेम [ PART-4 ] - मस्त मस्त हिंदी कहानियाँ

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सोमवार, 30 नवंबर 2020

romantic and hot love story / बो अनोखा सा प्रेम [ PART-4 ]

 

  

“अभी दिल नहीं भरा।”
           तब मैंने अनुराग से कहा- “ठीक है जब तक दिल न भर जाये तब तक पी। आज खुदा तुझ पर मेहरबान है जो तेरी सारी ख्वाहिशें पूरी होने वाली हैं “
          सुनकर वह मुस्कराया और उसने मेरे दायें गाल पर एक चुंबन किया, कान के पास एक चुंबन किया, कान के नीचे चुंबन करके उसने मेरी गर्दन पर चुंबन किया ।
          हम अभी शादी की पार्टी से आये थे जिसके लिए मैंने अपने गले में आर्टिफिशल ज्वैलेरी पहनी हुई थी। जो अब भी मेरे गले में थी और मेरे कानो में भी बड़े साइज़ के इयररिंग्स मौजूद थे जिसकी वजह से अनुराग को परेशानी हो रही थी। यह जान कर मैंने अपने जेवर उतारने शुरू कर दिए। जब मैं उसकी गोद में बैठे-बैठे ही अपने जेवर उतार रही थी तो उसने कुछ लाचारी से मेरी ओर देखा तो उसकी बेबस आँखों में झाँक कर जैसे मेरे दिल में उसके लिए प्यार का दरिया उमड़ आया और मैंने उसे कस कर गले लगा लिया। तभी मुझे अहसास हुआ की उसने भी मुझे अपनी बाँहो में भींच लिया था। यही वो पल था जब अत्यधिक भावुक होकर मेरी आँखों में आँसू आ गए थे। 

   पिछले कई महीनों में मेरा दिल कितनी ही बार उसे गले लगाने का हुआ था लेकिन इस तरह के हालात नहीं बन पाए थे। मैं उसे आज जिंदगी में पहली बार गले लगा रही थी। उसकी गोद में बैठ कर कभी अपनी दाँयी तरफ तो कभी बांयी तरफ मैं बार-बार उसे अपने सीने से लगा कर उसे चूमती जा रही थी। वो मेरे जज्बात समझ रहा था इसलिए मुझे अपनी बाँहो में जकड़े हुए था। उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर मैंने उसे कहा –
         “ मैं तुझसे बहुत प्यार करने लगी हूँ अनुराग !”
          मुझे अपनी बाँहों में समेटे हुए ही वह बोला – “मैं जानता हूँ मैडम कि आप मुझे बहुत प्यार करने लगी हैं। मैं इसीलिए आपके प्रेम का मान बढ़ा रहा हूँ, आपके प्रेम को स्वीकार रहा हूँ। “
           उसके सीने से लग कर और उसकी बात सुनकर मेरे दिल को ठंडक मिल रही थी। इस समय मुझे अनुराग के वही शब्द याद आ रहे थे कि –“मैं तो प्यार इसी को समझता हूँ कि यदि किसी को ख़ुशी देकर तुम्हे भी आनंद और ख़ुशी का अनुभव होता है तो वो अहसास ही प्यार होता है।” कुछ देर उसे ऐसे ही महसूस करने के बाद मैं अपना चेहरा उसके सामने लायी और अपने होंठ उसकी तरफ बढ़ा दिये। उसने मेरे होंठो को अपने होंठों में समा लिया और उनका रस पीने लगा, वह बिलकुल सच कह रहा था। मेरे होंठों को अपने होठों में समा कर वह प्रसन्नता-पूर्वक उन्हें धीरे-धीरे चूस रहा था, जबकि मुझे खुद भी उसके इस कृत्य में आनंद अनुभव हो रहा था।  


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