एक मज़लूम की सच्ची कहानी - मस्त मस्त हिंदी कहानियाँ

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रविवार, 27 नवंबर 2016

एक मज़लूम की सच्ची कहानी

-: एक मजलूम की सच्ची कहानी :-


दुनिया से  चाहे मिटा दो जिश्म को , लेकिन  सच्चाई लोगो से छिप नही सकती ||
 सदाबहार  लोगो का जिस्म तो मिट जाता है लेकिन हशति उन की मिट नही सकती ||

जी हाँ .....।

आज मै आपको  एक ऐसे सख्स के बारे में बताऊंगा जोआज से 650 साल पहले अपने गांब की इज़्ज़त के लिए कुर्बान हो गया और उसे कोई जानता तक नही |बो  उस जमाने का एक बहुत ही अच्छा इंसान समझा जाता था  । जिशका नाम था बुरहान पहलबान । से दिल का  बहुत अच्छा था और सब से प्यार प्रेम से रहने बाला था | इस का कसूर ये था के ये एक बेशस्या का पुत्र था | ये सच है या नही पर लोग उसे रंडी का पुत्र कहते थे जो की उसे बिलकुल भी अच्छा नही लगता था लेकिन बो उनसे कुछ भी नही कहता और हर बात को सहन कर लेता | बुरहान के अंदर इतनी ताखत थी के बो अकेला एक ताकतबर साँढ़ को गिरा सकता और उसे हरा देता था | लेकिन बो अपनी इस ताकत पर ना ही तो कभी घमंड करता और ना ही बो किसी को परेसान करता | बो हमेसा अपनी इस ताकत को लोगो की भलाई के काम में ही लाता था | उस के चर्चे आस पास के गामो में हुआ करते थे | और उसने जो भी कुश्ती लड़ी बो जीती ही थी | इसी तरह एक सहर में  एक राजकुमार था ज़िशका नाम था दुष्यंत जो की बहुत बलसाली था उस के अंदर भी इतनी ताकत थी के बो एक सेर से लड़ सकता था | राजा को अपने पुत्र की इस ताकत पर बड़ा ही घमंड था | राजा अपने पुत्र की ताकत का जगह जगह चर्चा करता रहता था | राजकुमार अपनी इस ताकत का बड़ा नाजायज फायदा उटाहता था | बो हर किसी को मारने लग जाता था और हर किसी की बहन बेटी जो उसे अच्छी लग जाया करती थी उसे उठा कर ले जाता | बेचारे गॉब बाले कुछ बोलते तो उन्हें बल और ताकत से डरा धमका कर चुप कर दिया जाता | राजा अपने राजकुमार से लड़ने के लिए जगह जगह गॉमो में नोयोता देता फिरता | राजा की जो रानी थी बो भी अपने बेटे की ताकत पर बड़ा गर्ब महसूस करती थी |
एक दिन राजा अपने कुछ सेनिको के साथ अपने सहर से निकला और बो बुरहान के गॉब में पहुच गया | राजा की दुष्टटा से लोग राजा को दूर दूर तक जानते थे और उससे डरते थे | रजा ने एक कस्बे में अपना तम्बू आराम करने के लिया गड़बा दिया और बो बही ठहर गए | राजा अपने तम्बू में आराम कर रहा था के अचानक उस की नजर एक खूबसूरत लडकी पर पड़ी | राजा ने अपने सिपाहियो को हुक्म दिया के उस लड़की को मेरे पास लेकर आओ | राजा के मन मे उस लड़की के खातिर बुरे ख़याल थे | जब राजा के सेनिक उस लड़की को पकड़ कर ला रहे थे तो किसी तरह बुरहान को पता लग गया और उस ने उन सब से अकेले ही मुकाबला किया उस बक्त सेनिको की संक्या 20 थी बुरहान ने सब को इतना मारा के बो मुश्कील से चल रहे थे बी किसी तरह राजा के पास पहुचे और राजा को सारा किस्सा सुनाया | राजा को उस के बारे में सुन कर बड़ा क्रोध् आया और उसी बक्त बो अपने सहर लोट आया  | उसने बुरहान को जान से मारने का निश्च्य किया | लेकिन किसी तरह इस बात की राजकुमार दुश्यन्त को खबर हो गई और उसने अपने पिता से इसके बारे में पूछा और कहा | के पिता जी आप चिंतित न हो में उसको देख लूंगा | और बह कई सारे सेनिक लेकर और बुरहान के गांब में पहुच गए लेकिन जब गांब बालो को इस बात का पता लगा के राजकुमार बुरहान को मारने आया है तो सारे गांब बालो ने रकजकुमार से लड़ने की ठान ली राजकुमार अपने साथ सिर्फ 20 - 30 सेनिक लाया था और गांब बाले 1000 की संक्या में आ गए थे तो राजकुमार ने उनसे लड़ना ठीक नही समझा | राजकुमार कुछ कहता इससे पहले एक बूढ़ा आदमी  जो की बहाँ का सरदार यानी मुकिया था रझकुमार के पास आया और कहने लगा के ओ राजकुमार  एक आदमी से इतने सारे लोग लड़ेंगे | हमारा बुरहान एक पहलबांन है अगर तेरे  खानदान में कोई है जो बुरहान से टक्कर से सकता है तो हमें मंजूर है चाहे बात एक दुशरे की मौत पर ही क्यों ना खत्म हो | तो राजकुमार ने  कहा के बाबा तेरे इस 2 टाके के पहलबांन के लिए मेरा ये बायां हाथ ही काफी है और आगर आप लोग इस बात पर राजी हो तो | लेकिन अगर तुम्हारा ये पहलबांन हार गया तो जिस लड़की को मेरे पिता ने जिस  लड़की को पसन्द किया है उस लड़की को मेरे पिता की रखेल बन्ना पड़ेगा | और अगर ये जीता तो आप लोगो का गांब हमेसा हमेसा के लिए आज़ाद और हम लोग आज के बाद आपके गांब में कभी नही आएंगे |तो उस गांब के मुकिया ने एक बार बुरहान की तरफ देखा और इस फेशले को हां कर दिया | राजकुमार इस फेश्ले में हां सुनकर बहुत तेज़ हँसने लगा और बुरहान का मज़ाक उड़ाने लगा और कुश्ती दुशरे दिन की रख दी गई और कुश्ती एक दुशरे की मौत पर ही खत्म होनी थी | राजकुमार अपने महल की ओर बापस चल दिया और महल पर जाकर ये सारा किस्सा अपने पिता को सुनाया तो इस का पिता खुस भी हूआ लेकिन थोडा रंजीन भी हुआ क्यों की राजा बुरहान की ताखत के बारे में  जानता था | दुशरे दिन जब आया तो कुश्ती की तयारी बुरहान के गांब में ही की गई | जब आस पास के लोगो को पता लगा के बुरहान और राजकुमार के बीच में जिंदगी और मौत की जंग होनी है तो दूर दूर से लोगो ने बहा आना सिरु कर दिया और कम से कम 500 गांब के लोग जमा हो गए लाखो की तादाद में | राजकुमार और उसके माता पिता और उस के परिजन सब भी आ गए | पूरा दंगल अब तैयार हो गया था | राजकुमार को बैंड बाजे के साथ पेश किया गया और बुरहान को सब गांब बालो ने एक उम्मीद के साथ उष मैदान में उतारा | सबसे आखीर में सरदार बुरहान से मिला और कहा के बेटा मुझे पता है के ये फैसला मेने कोई गलत नही लिया है लेकिन बेटा गांब की इज़्ज़त तेरे हाथो में है | अब दोनों आमने सामने हो गए और राजकुमार ने बुरहान से कहा के  तूने अपनी मौत को खुद दाबत दी है | बुरहान ने कहा के ये तो पता लगेगा के किसने मौत को दाबत दी है | इतना कह कर दोनों एक दुशरे पर टूट पड़े और मुकाबला सिरु हो हो गया | चुकी दोनों ही अच्छे पहलबांन थे तो काफी देर तक लड़ते रहे और दोनों ही बुरी तरहा जख्मी और हैरान हो गए थे | राजकुमार ज्यादा घायल हो गया था और बुरहान ने राजकुमार को नीचे गिरा दिया | उन दोनों के बीच में एक भाला डाला गया था की जो भी हार जाये तो उसे जितने बाला बिलकुल खत्म कर दे |तो बुरहान ने जब भाला उठाया उसे मारने के लिए तो राजकुमार ने बुरहान के आगे हाथ जोड़ दिए और अपनी ज़िन्दगी की भीख मांगने लगा तो बुरहान ने उसे छोड़ दिया और भाले को फख दिया और गांब बालो के दुआरा बानायी जा रही खुसी की तरफ चलने लगा तो अचानक ही राजकुमार उठा और भाले को उठाया औरपीछे से बुरहान के सर पर जोर से मारा इस से बह बेहोश हो गया | जब बुरहान जामीन पर गिर गया तो राजकुमार खुसी से चिल्लाने लगा और खुसी जाहिर करने लगा | गांब बालो इस बात का बिरोध किया लेकिन राजा  के आग़े किस की चलती बेचारे सब चुप पड़ गए | तो इतने में सरदार बुरहान के पास आया और कहा के बेटा हमे इस बात का गम नही के हमारे घर खेत खलियान और हमारी जमीन हम सइ चीन्ह ली जायेगी बेटा हमे हमारी उस बेटी का गम है जिसकी इज़्ज़त को दाब पर लगा दिया गया है बेटा गांब की इज़्ज़त तेरे हाथो में है इतना कह कर बह सरदार रोने लग जाता है | फिर राजा राजकुमार को हुक्म देता है के बुरहान को जान से खत्म कर दिया जाए | राजमकुमार बुरहान में जेसे ही भाले को घुसेड़ने बाला था के बुरहान ने अपने आप। को बचाया और राजकुमार के सीने पर इतनी जोर से लात मरी के उस के मुह से खून निकलने लग गया | और उस के हाथ से भाला खुसा कर उस के सीने के पार कर दिया | इस को राजा बार्दाश्त नही कर सका और बह बहा से उठ कर चला गया | पहले जब कोई कुश्ती जीतता था तो उसे खुसी के तौर पर  दूध या सेहद पिलाय जाता था | तो रानी ने उसे दिखलाबे के तोर पर दूध हाजिर किया लेकिन उसने उस दूध के अंदर बेटे की मौत का बादला लेने के लिए सेर की मूछ का एक बाल उस दूध में डाल दिया गया था जिससे की पूरा दूध जेहर बन गया और उस दूध को बुरहान की पिला दिया गया जिससे बुरहान की तबियत बिगड़ना सिरु हो गई बाद में तहक़ीक़ से पता लगा के दूध में जेहर मिलाया  गया तो  बहा के सभी गांब बासियो ने इसका बिरोध किया लेकिन बो बुरहान को नही बचा पाये | इस बात से दुखी गांब बालो ने उस का उसी जगह जहाँ उसकी मौत हुई थी एक गुम्मद बना दिया और उसी जगह उस की कब्र बनाई गई लेकिन आज  भी उस की  बहधुहुरि के किस्से लोग आज भी बया करते है




1 टिप्पणी:

HINDI KAHANIYA ने कहा…

Wao enteshting and good story