डॉन हाजी मस्तान के जीबन की रोचक कहानी - मस्त मस्त हिंदी कहानियाँ

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रविवार, 1 नवंबर 2020

डॉन हाजी मस्तान के जीबन की रोचक कहानी

1 मार्च 1926 को तमिलनाडु के कोठार जिले में जिनमें हाजी मस्तान 8 साल की उम्र में मुंबई आए जहां पहले उन्होंने क्रॉफिट मार्केट में अपने पिता के साथ एक साइकिल बनाने की दुकान खोली और 1944 में मुंबई टॉप में कुली बन गए और वहां उनकी मुलाकात एक अरब शेख मोहम्मद अलखालिद से उनकी मुलाकात हुई । 
अरब के सेख ने उसको अपने कुछ सोने के बिस्कुट दिए जो रेल्बे पिलेटफॉर्म से पुलिस से छिपाकर बहार लाने थे ।  के बिस्कुट को अपनी पगड़ी में छुपा कर बाहर लाया  था  और इस तरह बो इस सेख का ये काम किया करता था तो सेख इसको कुछ इनाम दे दिया करता था ।
एक दिन सेख सहाब सौ बिस्कुट का एक बक्सा के साथ में ले आया जिनको रेलवे प्लेटफार्म से बाहर ले जाना मुश्किल था तो उसने हाजी मस्तान का इसमें सहारा लिया हाजी मस्तान उनको बाहर तो ले आया था लेकिन किसी कारण वह पुलिस को पकड़ा गया उसने वह बिस्कुट जल्दी से अपनी झोपड़ी के अंदर जाकर छुटा दिए और हाजी मस्तान पकड़ा गया हाजी मस्तान पुलिस की गिरफ्त में लगभग 2 से 3 साल तक रहे उसके बाद जब वह जेल से बाहर आए तो मुझसे उनसे सेख सहाब की मुलाकात हुई और उन्होंने अपने उन बिस्कुट को बारे में पूछा तो बह उनको अपनी झोपड़ी पर के पास ले आया और उनको बो बिस्कुट हवाले कर दी इस चीज को देखकर अरब का शेक उनसे बहुत ज्यादा खुश हुआ और सोच में पड़ गया कि 3 साल तक बिस्कुट इसी के पास रहे अगर चाहता तो उनको बेच सकता था कहीं लेकर जा भी सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया  । इसने ईमानदारी से बिस्कुट मेरे हवाले कर दी ।  इससे हाजी मस्तान को अपना पार्टनर बना लिया और यहां से शुरुआत हुई इसके जीवन की। हाजी मस्तान एक ऐसा डॉन हुआ जिस ने कभी किसी भी नही मारा और ना ही अपने हाथ से कभी कोई गोली चलाई उन्हें जब भी कभी कोई ऐसे काम की जरूरत पेश आई तो उसने एक दूसरे गैंगस्टर वर्धराजउदारे का सहारा लिया ।
अभिताभ बच्चन की फ़िल्म दीवार में हाजी मस्तान के जीबन की कुछ कहानी डाली है । 
कई अभिनेता इसके दोस्त थे जो अक्सर इससे मिलने आया करते थे । अस्सी के दशक में हाजी मस्तान ताखत थोड़ी कमजोर पड़ने लगी के नए नए डॉन फिर उभर कर आने लगे थे  । तो हाजी मस्तान ने राजनीति की तरफ अपना कदम बढ़ाया ।
ये हमेसा गरीबो की मदत किया करता था । तो ये थी उस डॉन की कहानी जिस ने बिना कोई गोली चालाए एक डॉन की उपादी ली ।

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